Astitva Ki Paathshala me Corona Mahamari Ke Paath : Behoshi - cover

Astitva Ki Paathshala me Corona Mahamari Ke Paath : Behoshi

Dharmraj

  • 05 augustus 2021
  • 0408100111143
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Samenvatting:

जीवन अपनी पूरी महिमा में पूरी गहराई, ऊँचाई, सौंदर्य, प्रसाद और आनंद के साथ सदा यहीं विद्यमान है. उसका किसी से कोई भेदभाव नहीं है. हम बस उसकी तरफ़ नज़रें फेरे बैठे हैं. इसमें ऐसा नहीं कि, कोई वास्तविक दिशा है, जिस ओर जीवन से हम नज़र फेरकर बैठे हैं. यह दुःख का जीवन बस हमारा ख़्याल है. यह बेहोशी के रूप में एक ढंग है, जो हमें सत्य जीवन से विमुख किए है. हम सिर्फ़ यह जान सकते हैं, कि हम बेहोश हैं. इसका अर्थ ऐसा नहीं कि, हम पर बेहोशी छाई है, हम ही बेहोशी हैं. बेहोशी से होश में आने का सीधा कोई रास्ता है ही नहीं. यह अंतर्दृष्टि कि, हम बेहोशी हैं, हमारे द्वारा जो भी सोचा जाएगा, समझा जाएगा, महसूस किया जाएगा, वह सब बेहोशी के ही क्रिया कलाप हैं, बेहोशी के सम्यक् अंत का प्रथम और अंतिम कदम है. कहीं न कहीं हमने जिस बेहोशी को जीवन का अनिवार्य अंग स्वीकार कर लिया है, उसी को आमूल पर्त दर पर्त खोलता यह अध्याय बेहोशी की ही समझ में ऐसे होश को उसकी पूरी त्वरा ऊँचाई और गहराई में हमारे भीतर रच रहा है, जिसके होने पर रंच मात्र दुःख भी छू नहीं सकता.

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